देश में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा अफसरशाही से देश में ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट का उल्लंघन हो रहा है ऐसे में फार्मासिस्ट स्वरोजगार के विकल्प से अपना व्यवसाय स्थापित कर सम्मानजनक जीवन जी सकता है फर्मासिस्ट बनकर दवाओं की बिक्री करने के पेशे को स्वरोजगार का बेहतर विकल्प माना जा सकता है। इस पेशे में उतरने के लिए जरूरी योग्यता और अन्य संभावनाओं पर हमने यहां प्रकाश डालने की कोशिश की है। इसके अनुसार आप स्वरोजगार की अपनी राह को चुन सकते हैं।
जरूरी योग्यता
फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स या बायोलॉजी विषयों के साथ ग्यारहवीं और बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद डीफॉर्म (डिप्लोमा इन फार्मेसी) पाठ्यक्रम में दाखिला लिया जा सकता है। बीफॉर्म में दाखिले के लिए भी न्यूनतम योग्यता यही है। मास्टर डिग्री पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए फार्मेसी में बैचलर डिग्री का होना आवश्यक है।
फार्मेसी के डिप्लोमा या बैचलर डिग्री पाठ्यक्रम में प्रवेश बारहवीं में प्राप्त अंकों या प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है। दो वर्षीय डिप्लोमा हासिल करने के बाद आपके पास दवा की दुकान खालने का विकल्प तो होता ही है, आगे पढ़ाई जारी रखने का भी विकल्प बाकी रहता है। डीफार्म के आधार पर लेटरल एंट्री योजना के तहत बीफार्म पाठ्यक्रम के दूसरे साल में सीधे प्रवेश भी मिलता है।
जरूरी गुण
विज्ञान विषयों खासकर लाइफ साइंस और दवाओं के बारे में रुचि हो।
काम के लिए कठिन परिश्रम का माद्दा हो।
तार्किक सोच
संवाद कुशलता और उत्पादों की बेहतर समझ
व्यापार के लिए जरूरी हुनर हो
रोगियों की बात को समझने का धैर्य हो।
कैसे बनें फार्मासिस्ट
पेशेवर फार्मासिस्ट बनने के लिए फार्मेसी में न्यूनतम डिप्लोमा स्तरीय योग्यता का होना पहली शर्त है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) से मान्यता प्राप्त देश के किसी संस्थान से यह डिप्लोमा हासिल किया जा सकता है। इसे प्राप्त करने के बाद फार्मेसी एक्ट 1940 के तहत खुद को राज्य फार्मेसी काउंसिल में पंजीकृत करना होता है। अध्ययन की इच्छा होने या इस विषय क्षेत्र में अपनी समझ बढ़ाने के लिए बाद में बीफार्म (बैचलर ऑफ फार्मेसी) और एमफार्म (मास्टर ऑफ फार्मेसी) की पढ़ाई भी की जा सकती है। पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर कई स्पेशलाइज्ड विषयों में डिप्लोमा करने के भी विकल्प उपलब्ध हैं।
मेडिकल स्टोर संचालक
इसके लिए लाइसेंस की जरूरत होती है और इसे हासिल करने के लिए फार्मेसी में डिप्लोमा के साथ राज्य फार्मेसी काउंसिल में पंजीकृत होना जरूरी है। जिस राज्य के काउंसिल में आप खुद को पंजीकृत करवाएंगे, उसी के अधिकार क्षेत्र में आपको मेडिकल स्टोर खोलने का लाइसेंस मिलेगा।
फार्मासिस्ट का काम
डॉक्टर द्वारा मरीज के लिए लिखी गई दवाएं मरीज को देना।
रोगियों को दवाओं के सुरक्षित और प्रभावी इस्तेमाल के बारे में जानकारी देना।
दवा, बीमारी और जीवनशैली में परिवर्तन से जुड़ी मरीज की उन शंकाओं का समाधान करना, जिनसे मरीज को बीमारी से उबरने में मदद मिले।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें