जहां देश में एक तरफ आयुष चिकित्सक को एलोपैथिक दवाओं लिखने का अधिकार दिया जा रहा है वही दवाओं के विशेषज्ञ फार्मासिस्टों को इस अधिकार से अब तक वंचित रखा गया है जबकि एलोपैथिक चिकित्सक और एलोपैथिक फार्मासिस्ट दोनों एक ही फार्माकोलॉजी पढ़ते हैं इतना ही नहीं फार्मासिस्ट स्वास्थ्य और चिकित्सा के विभिन्न विषय जैसे कि ह्यूमन एनाटॉमी एंड फिजियोलॉजी ,बायोकेमिस्ट्री, फार्माकोलॉजी, हेल्थ एजुकेशन एंड क्लीनिकल पैथोलॉजी, आदि विषयों में गहन अध्ययन करते हैं तथा अध्ययन के पश्च्यात फार्मासिस्ट अस्पतालों में प्रशिक्षण भी पाते हैं जबकि आयुष डॉक्टर को एलोपैथिक दवाओं के बारे में अध्ययन करना नहीं होता है

अमेरिका कनाडा आदि विकसित देशों में भी फार्मासिस्टों को प्रिस्क्रिप्शन लिखने का अधिकार दिया गया है जिसकी जानकारी भारत सरकार को भी है तथा भारत सरकार के माय गवर्नमेंट पोर्टल पर अमेरिका में फार्मासिस्टों के प्रिस्क्रिप्शन लिखे जाने के अधिकार की एक कॉपी पीडीएफ फॉर्मेट में उपलब्ध भी है भारत सरकार और फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने फार्मासिस्टों को फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन के अनुसार दवा संबंधी सलाह सुझाव देने का अधिकार दिया है और दवा का वितरण और भंडारण भी फार्मासिस्ट के जिम्मे ही होता है भारत में भी उत्तराखंड और पंजाब आदि राज्यों में डॉक्टर के अनुपस्थिति में फार्मासिस्ट मरीजों की चिकित्सा करते है

लंबे समय से फार्मासिस्ट मांग रहे हैं प्रिस्क्रिप्शन लिखने का अधिकार देश के फार्मासिस्ट प्रिस्क्रिप्शन लिखने के योग्य हैं और लंबे समय से प्रिस्क्रिप्शन लिखने के अधिकार को लेकर आंदोलन प्रदर्शन एवं मंत्रालय को दर्जनों चिट्ठियां भी लिख चुके हैं 2015 में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन आने के बाद कुछ फार्मासिस्टों में उम्मीद जगी थी लेकिन पीसीआई ने साफ कर दिया की फार्मासिस्ट को प्रिस्क्रिप्शन का अधिकार अभी नहीं दिया गया है पीपीआर को आधार बनाकर कुछ फरमा से संगठनों ने हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था लेकिन हाईकोर्ट ने उनके मामले को बिना किसी निष्कर्ष के खारिज कर दिया

ज्ञात हो कि फार्मासिस्ट बनने हेतु 2 वर्ष 3 माह की डिप्लोमा कोर्सेज 4 वर्षीय बैचलर इन फार्मेसी 6 वर्षीय डॉक्टर इन फार्मेसी कोर्स करना पड़ता है लेकिन अफसोस की बात यह है कि 6 वर्षीय कोर्स करने के बावजूद भी डॉक्टर इन फार्मेसी के छात्रों को भी प्रिस्क्रिप्शन लिखने का अधिकार अभी तक नहीं मिल पाया है डॉक्टर इन फार्मेसी की पढ़ाई के बाद छात्रों को एक साल 500 से अधिक बेड वाले अस्पताल में प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है तथा डॉक्टर इन फार्मेसी कोर्स पूरी तरीके से क्लीनिकल फार्मेसी और क्लीनिकल शिक्षा पर व्यवस्थित होता है
प्रिस्क्रिप्शन के अधिकार को लेकर डॉक्टर इन फार्मेसी के छात्र अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं लेकिन सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है
नोट ऊपर दिए गए लेख लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं
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