दवा माफिया के खिलाफ गुड्डू बाबा देंगे धरना
स्वास्थ्य जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है और व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी चीज है दवा जी हां बिहार में नकली दवाइयों का कारोबार दिन दोगुना रात चौगुना फैल रहा है जिससे आम जनमानस का स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास उठ रहा है वही दवा की कीमतों में जनता को नकली दवाइयां मिल रही है हालांकि औषधि प्रशासन के कुछ काबिल ऑफिसर द्वारा बार बार निरीक्षण करने के बाद यह मामला साफ हो गया है कि बिहार में बेहद बड़े पैमाने पर नकली दवाइयों का कारोबार हो रहा है और यह कारोबार ना केवल बिहार में बल्कि बिहार से बनाई जाने वाली नकली दवाइयों की सप्लाई पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश झारखंड तथा पड़ोसी देश नेपाल में भी की जाती है
मामले को लेकर बिहार के प्रसिद्ध समाजसेवी विकास चंद्रा उर्फ गुड्डू बाबा ने सभी पहलुओं को एकत्र कर अदालत का दरवाजा खटखटाया और जनता को इंसाफ दिलाने की मांग की कई बार मामले को सीबीआई जांच की भी सिफारिश की गई लेकिन बिहार सरकार ने मामले को अनदेखा करते हुए कोई कार्यवाही नहीं की जिस कारण से आज भी मुजरिमों पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी आए दिन देखने को मिलता है कि जब भी औषधि निरीक्षक दवा दुकान पर छापेमारी कर उसे बंद करवाते हैं वही राजनीतिक दलों के हस्तक्षेप के कारण वह दुकान फिर से खुल जाता है ऐसे में यह बात स्पष्ट हो रही है कि दवा माफिया को राजनीति के समर्थन प्राप्त है और राजनीतिक पार्टियों के चुनावी चंदे के लिए गरीब और मासूम जनता को नकली दवाइयों का भार सहना पड़ता है
जिस के विरोध में समाजसेवी गुड्डू बाबा द्वारा दिनांक 7 मई 2018 को गर्दनीबाग धरना स्थल पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा गया है गुड्डू बाबा ने बताया कि उनका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को उचित स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना है उनकी सोच है कि कोई भी व्यक्ति बिना दवा के या फिर गलत दवा खाकर ना मरे नकली दवाइयों का कारोबार बंद हो और दवा माफियाओं पर सरकार ठोस ठोस कार्यवाही करें
बिहार में दवा क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ समाजसेवी गुड्डू बाबा को भी सड़कों पर उतरना पड़ रहा है भारतीय संविधान ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट का उल्लंघन कब तक होता रहेगा कब तक स्वास्थ्य विभाग सोता रहेगा आखिर कब तक जनता को गुणवत्तायुक्त दवाइयां मिलेगी अफसोस की बात तो यह है कि बिहार सरकार केवल डॉक्टरों की नियुक्ति पर ध्यान देती है लेकिन दवा विशेषज्ञ फार्मासिस्टों की नियुक्ति पर आज तक ध्यान नहीं दिया गया है लेकिन सोचने वाली बात है कि जब तक दवाइयां ही सुरक्षित और जिम्मेदारी पूर्ण ढंग से उपयोग नहीं की जाएगी तब तक व्यक्ति का निरोगी होना असंभव है देखते हैं बिहार सरकार की नींद कब तक खुलती है
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