आज राजकीय फार्मेसी छात्रावास में छात्रों की एक बैठक आयोजित की गई जिसमें फार्मेसी के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई बैठक को संबोधित करते हुए फार्मासिस्ट ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और औषधि प्रशासन की उदासीनता के कारण राज्य में अवैध दवा कारोबार पनप रहा है जो कि जनता के लिए बेहद घातक है बेहद पैमाने पर नकली दवाइयों के पकड़े जाने के बाद भी सरकार सतर्क नहीं हो रही है केवल पटना में ही छापेमारी की जाती है जबकि उन दवाइयों का सप्लाई नेपाल के बॉर्डर तक किया जाता है विभागीय उदासीनता के कारण इन दुकानों पर कार्यवाही नहीं हो पाती वहीं राज्य में ऑनलाइन व्यवस्था होने के बावजूद भी राज्य के 40000 दुकानों में से केवल 3000 दुकानों का ही वेबसाइट पर डाला गया है जिसमें से 750 दुकानें बगैर फार्मासिस्ट की चल रही है बैठक में फार्मासिस्टों की निम्नलिखित मांगे थी जिसके बारे में सरकार को लिखा जाएगा
(1) फार्मासिस्ट एक टेक्निकल क्वालिफाइड पर्सन है और दवा विशेषज्ञ के रूप में फार्मासिस्ट का वेतन न्यूनतम ₹25000 पर अपनी सेवाएं देंगे तथा सरकार के पूर्व सचिव अंजनी कुमार के आदेश अनुसार फार्मासिस्टों का वेतन उनके बैंक अकाउंट मैं प्रत्येक माह के एक तारीख को मिल जाए
(2) ड्रग लाइसेंस प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बावजूद भी मात्र 3000 दवा दुकानों की सूची वेबसाइट पर अपलोड की गई है अतः बिहार में कुल दवा दुकानों की सूची वेबसाइट पर अपलोड की जाए तथा बिना फार्मासिस्ट के चल रहे दवा दुकानों पर कार्यवाही की जाए
(3) जब राज्य में फार्मासिस्टों की कमी थी तब कोर्ट के आदेश अनुसार कुछ लोगों को अनुभव के आधार पर फार्मासिस्ट की वरीयता दी गई थी लेकिन आज राज्य में पर्याप्त संख्या में फार्मासिस्ट है अतः अनुभव पर आधारित फार्मासिस्टों का रजिस्ट्रेशन झारखंड सरकार के अनुरूप कैंसिल किया जाए और वैसे लोग जिनकी मृत्यु हो चुकी है उनका नाम भी फार्मेसी काउंसिल के रजिस्टर से हटाया जाए तथा फार्मेसी काउंसिल को ऑनलाइन किया जाए ताकि फार्मासिस्ट अपना रजिस्ट्रेशन एवं रिन्यूअल ऑनलाइन करा सकें
बैठक को संबोधित करते हुए फार्मा एक्टिविस्ट रजत राज ने कहा कि दवा दुकानों पर फार्मासिस्ट नहीं होने के कारण आम जनता को ना तो सही दवा मिल पाती है और ना ही सही सलाह यहां तक की नई दवाओं के बारे में उन्हें पता भी नहीं चल पाता सरकार अथक प्रयास कर लोगों के लिए नए-नए खोज और अविष्कार कर नई नई दवाओं को मरीजों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है बल्कि दवा दुकान पर फार्मासिस्ट नहीं होने के कारण लोग गलत दवाओं का सेवन करने लगे हैं शराबबंदी के कारण राज्य में दवाइयों का उपयोग नशा सामग्री के रूप में भी होने लगा है खासकर नारकोटिक दवाइयों का उपयोग शराबबंदी के बाद 3 गुना बढ़ गया है बैठक की अध्यक्षता अरविंद कुमार चौधरी ने की बैठक में मनीष कुमार राहुल कुमार फूलबाबू सौरभ कुमार मनोज कुमार कामत अभिषेक कुमार कपिल देव मनीष सुबोध कुमार बलराम कुमार विकास कुमार आदि दर्जनों फार्मेसी छात्र उपस्थित थे
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