DENGUE FEVER
डेंगू बुख़ार एक संक्रमण है जो डेंगू वायरस के कारण होता है। डेंगू का इलाज समय पर करना बहुत जरुरी होता हैं. मच्छर डेंगू वायरस को संचरित करते (या फैलाते) हैं। डेंगू बुख़ार को "हड्डीतोड़ बुख़ार" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इससे पीड़ित लोगों को इतना अधिक दर्द हो सकता है कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी हों। डेंगू बुख़ार के कुछ लक्षणों में बुखार; सिरदर्द; त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते तथा मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। कुछ लोगों में, डेंगू बुख़ार एक या दो ऐसे रूपों में हो सकता है जो जीवन के लिये खतरा हो सकते हैं। पहला, डेंगू रक्तस्रावी बुख़ार है, जिसके कारण रक्त वाहिकाओं (रक्त ले जाने वाली नलिकाएं), में रक्तस्राव या रिसाव होता है तथा रक्त प्लेटलेट्स (जिनके कारण रक्त जमता है) का स्तर कम होता है। दूसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम है, जिससे खतरनाक रूप से निम्न रक्तचाप होता है।
डेंगू वायरस चार भिन्न-भिन्न प्रकारों के होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इनमें से किसी एक प्रकार के वायरस का संक्रमण हो जाये तो आमतौर पर उसके पूरे जीवन में वह उस प्रकार के डेंगू वायरस से सुरक्षित रहता है। हलांकि बाकी के तीन प्रकारों से वह कुछ समय के लिये ही सुरक्षित रहता है। यदि उसको इन तीन में से किसी एक प्रकार के वायरस से संक्रमण हो तो उसे गंभीर समस्याएं होने की संभावना काफी अधिक होती है।
लोगों को डेंगू वायरस से बचाने के लिये कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। डेंगू बुख़ार से लोगों को बचाने के लिये कुछ उपाय हैं, जो किये जाने चाहिये। लोग अपने को मच्छरों से बचा सकते हैं तथा उनसे काटे जाने की संख्या को सीमित कर सकते हैं। वैज्ञानिक मच्छरों के पनपने की जगहों को छोटा तथा कम करने को कहते हैं। यदि किसी को डेंगू बुख़ार हो जाय तो वह आमतौर पर अपनी बीमारी के कम या सीमित होने तक पर्याप्त तरल पीकर ठीक हो सकता है। यदि व्यक्ति की स्थिति अधिक गंभीर है तो, उसे अंतः शिरा द्रव्य (सुई या नलिका का उपयोग करते हुये शिराओं में दिया जाने वाला द्रव्य) या रक्त आधान (किसी अन्य व्यक्ति द्वारा रक्त देना) की जरूरत हो सकती है।
1960 से, काफी लोग डेंगू बुख़ार से पीड़ित हो रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यह बीमारी एक विश्वव्यापी समस्या हो गयी है। यह 110 देशों में आम है। प्रत्येक वर्ष लगभग 50-100 मिलियन लोग डेंगू बुख़ार से पीड़ित होते हैं।
वायरस का प्रत्यक्ष उपचार करने के लिये लोग वैक्सीन तथा दवाओं पर काम कर रहे हैं। मच्छरों से मुक्ति पाने के लिये लोग, कई सारे अलग-अलग उपाय भी करते हैं।
डेंगू बुख़ार का पहला वर्णन 1779 में लिखा गया था। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने यह जाना कि बीमारी डेंगू वायरस के कारण होती है तथा यह मच्छरों के माध्यम से संचरित होती (या फैलती) है।
डेंगी के कारण और लक्षण
1. कारणडेंगी वायरस मच्छरों से फैलता है, मुख्यतः ऐडीस इजिप्ती से। ये मच्छर सुबह सुबह में और देर रात काटते हैं। एक बार मे काटने से ही इनफ़ैक्शन हो सकता है।
2. लक्षणयह देखा गया है कि डेंगी बुखार उचित चिकित्सा देखभाल द्वारा उपचार योग्य है, लेकिन यदि इलाज न किया जाए तो यह गंभीर हो सकता है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण हैं कि डेंगी के लक्षणों के बारे में जानकारी हो ताकि इसकी पहचान प्रारंभिक तौर पर हो सकें। आइए ऐसे कुछ लक्षणों को देखें जो डेंगी को इंगित करते हैं:
डेंगी से पीड़ित लोगों में सामान्यतः निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं:
1. तेज़ बुखार
2. सरदर्द
3. उल्टी
4. मांपेशियों तथा हड्डियों में दर्द
5. त्वचा पर रैशेस
हालांकि ये लक्षण डेंगी की ओर इशारा कर भी सकते हैं और नहीं भी, इसलिए इस बात की सलाह दी जाती है कि इनमें से एक या अधिक लक्षणों का अनुभव होने पर जांच करवा लें। हालांकि ये बिमारी के प्रारंभिक लक्षण होते हैं। कभी कभी लोग इन बातों को नज़रअंदाज़ करते हैं और ऐसा करने से डेंगी के गंभीर रूप विकसित हो जाते हैं, जिनके निम्न लक्षण होते हैं:
1. रक्तस्त्राव
2. ब्लड प्लेटलेट्स का स्तर कम होना
3. ब्लड प्लाज़मा लिकेज
4. ब्लड प्रैशर कम होना।
हर किसी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि डेंगी एक खतरनाक बिमारी है प्रारंभिक लक्षणों पर ही तत्काल चिकित्सा परामर्श लेना चाहिए| उपाय करने से सावधानी बरतना हमेशा बेहतर होता है।
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