बिहार के डिप्लोमा इन फार्मेसी के छात्रों ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के एग्जिट एक्जाम का बेहद आक्रोशित विरोध किया है छात्रों ने पीसीआई की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से कड़ी निंदा की है छात्रों का कहना है कि पीसीआई पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है पीसीआई में सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों की कमी हो गई है और हर जगह भ्रष्टाचार देखा जा रहा है फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया भारत की फार्मेसी नियामक संस्था है लेकिन इसका काम जीरो हैप्रत्येक वर्ष कुकुरमुत्ता की तरह बिना इंस्पेक्शन के सैकड़ों कॉलेजों को मान्यता प्रदान किया जा रहा है लेकिन उनमें हो रहा है पढ़ाई और फैकेल्टियों की जानकारी नहीं है भारत में बहुत सारे ऐसे कॉलेज आए जहां के शिक्षक मैन्युफैक्चरिंग में काम कर रहे हैं और किराए के कमरे लेकर कॉलेज बना दिए गए हैं और इस प्रकार से नॉन अटेंडिंग डिग्री ओं का बटवारा हो रहा है लेकिन जब डिग्री डिप्लोमा दोनों में हो रहा है टॉप फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया डिप्लोमा के लिए एग्जाम क्यों लाना चाह रही है यदि एग्जाम ही लेना है तो सभी कोर्स के बाद रजिस्ट्रेशन के लिए एग्जाम लिया जाए सभी राज्य में डिप्लोमा सरकारी कॉलेजों में इंट्रेंस के आधार पर ही नामांकन लिया जाता है और इंट्रेंस के नंबर पर ही छात्र फार्मेसी कोर्स करते हैं
बिहार में डिप्लोमा इन फार्मेसी करने में लग जाते हैं 5 साल
बिहार के राजकीय फार्मेसी संस्थान के छात्र अपने दर्द बयां करते हुए कहते हैं कि उन्हें डिप्लोमा इन फार्मेसी कॉल करने में 4 से 5 साल लग जाते हैं जितने समय में बैचलर इन फार्मेसी के छात्रों की प्लेसमेंट भी हो जाती है छात्रों का आरोप है कि राज्य सरकार के इंट्रेंस होने के बाद 5 महीने में रिजल्ट आता है जिसके बाद छात्रों का एडमिशन होता है उसके बाद सत्र विलंब होने के कारण 2 वर्ष पर एक परीक्षा संभव हो पाती है ऐसे में छात्रों का 4 साल ऐसे ही बर्बाद हो जाता है
छात्र कहते हैं कि पीसीआई निजी संस्थानों को रेगुलेट तो कर नहीं पा रही है तो फोकट का ड्रामा शुरू करना चाह रही है छात्रों का कहना है कि बिहार के निजी फार्मेसी संस्थान 60 सीटों पर मान्यता प्राप्त है जबकि 100 से डेढ़ सो नामांकन लेते हैं छात्र कई बार इसकी शिकायत कर चुके हैं और कई बार मामला सामने आने के बाद भी फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की आंख नहीं खुल रही स्पेक्टर संस्थान के निरीक्षण को आते हैं और मोटी रकम लेकर चले जाते हैं संस्थान की कमियां और खूबियों को नजरअंदाज कर देते हैं छात्रों को परीक्षा तंत्र और फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के इस सिस्टम से बेहद तकलीफ होती है छात्र फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया को बार-बार पत्र लिखकर अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए अनुरोध करता है लेकिन इतना तो छात्रों की समस्या पीसीआई सुनती है और ना ही राज्य सरकार ऐसे में यदि छात्र एग्जिट एक्जाम का विरोध ना करें तो क्या करें
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