चिकित्सा जगत का वरदान समझा जाने वाला फार्मेसी कोर्स अब एआईसीटीई से मुक्त हो सकता है ऐसे में देश के फार्मासिस्ट और फार्मेसी छात्रों के लिए बहुत निराशाजनक रहेगा फार्मेसी अपने आप में एक प्रोफेशन होने के साथ-साथ एक तकनीकी शिक्षा भी माना जाता है लेकिन फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया और कुछ निजी कॉलेज जाते हैं कि फार्मेसी एक प्रोफेशन के रूप में ही रहे और फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के स्वामित्व में काम करें अभी तक फार्मेसी शिक्षा और नियोजन फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया तथा ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन दोनों के अधीन है लेकिन इस प्रकार के कदम से निश्चित रूप से देश के फार्मासिस्ट को एक बड़ा झटका लग सकता है
क्या होगा नुकसान
यदि फार्मेसी तकनीकी श्रेणी से हटाया जाता है तो देश में फार्मासिस्ट सेवा नियमावली बेहद हद तक प्रभावित होगी और उनके वेतन और पदोन्नति के रास्ते प्रशस्त होंगे क्योंकि फार्मासिस्ट को एक जूनियर इंजीनियर के हिसाब से वेतन और पदोन्नति मिलते आ रहे हैं यही नहीं बल्कि फार्मेसी से जुड़े हुए लोग और फार्मेसी कॉलेज के अधिकारियों का भी वेतन और पदोन्नति प्रभावित होगी
अभी तक फार्मेसी कॉलेज चलाने के लिए संस्था को एआईसीटीई और पीसीआई दोनों की मान्यता लेनी पड़ती है लेकिन अलग होने के बाद संस्थान पर केवल पीसीआई का शिकंजा ही रह पाएगा ऐसे में निश्चित रूप से फार्मेसी प्रोफेशन की गुणवत्ता प्रभावित होगी
कहां लाभान्वित होंगे फार्मासिस्ट
विशेषज्ञ कहते हैं कि तकनीकी शिक्षा से हटाए जाने के बाद फार्मेसी पूरी तरह पीसीआई के अधीन हो जाएगी और फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया देश के फार्मासिस्ट के विकास के लिए नए एजेंडे लाकर देश के लाखों फार्मासिस्ट को नए अवसर दे सकती है
हालांकि कई कानूनों में फार्मेसी को प्रोफेशनल कोर्स के साथ तकनीकी कोर्स की श्रेणी में भी रखा गया है लेकिन हाल ही में स्वास्थ्य विभाग में बैठक कर यह प्रस्ताव राज्य सभा को सौंपने की तैयारी कर रहा है
गोपनीय सूत्रों से पता चला है कि पिछले वर्ष यूपी में 130 ने डिप्लोमा कॉलेजों को मान्यता दी गई जबकि एआईसीटी नहीं इस पर आपत्ति जाहिर की आज डिप्लोमा शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एआईसीटीई नैना डिप्लोमा कॉलेजों को मान्यता देने से मना कर दिया इस कारण से दिल्ली हाई कोर्ट में केस डाला गया और अब काउंसिल पूरी तरह से स्वतंत्र होने में अपनी पूरी ताकत लगा रही है ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि देश के फार्मासिस्टओं का क्या विचार है
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