दवा जब उचित मात्रा और उचित समय पर लिया जाता है तो संजीवनी का काम करती है लेकिन वही दवा यदि सही जानकारी और सही मात्रा के साथ ना लिया जाए जो व्यक्ति के मौत का कारण भी बन सकती है शायद आपने देखा भी होगा आज ही दरभंगा के अखबार में प्रकाशित है आप सभी को पता होगा कि दवा दुकान पर बिना फार्मासिस्ट के दवा वितरण नहीं किया जा सकता है आइए जानते हैं क्या है मामला
आखिर दवा दुकानों पर फार्मासिस्ट की अनिवार्यता जरूरी क्यों है आखिर इसके लिए कानून क्यों बनाया गया है ?
दवा कोई मामूली वस्तु नहीं बल्कि जीवन रक्षक सबसे उपयोगी वस्तु है बिना दवा के स्वास्थ्य व्यवस्था की कल्पना ही नहीं की जा सकती है जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रत्येक एलोपैथिक दवा का साइड इफेक्ट होता है लेकिन उनसे इस प्रकार तैयार किया जाता है कि मरीज को ज्यादा लाभ और नुकसान कम हो दवा के सेवन से पूर्व मरीज को दवा संबंधी जानकारी उसके उपयोग की जानकारी दवा लेने की मात्रा की जानकारी होनी जरूरी है अन्यथा दवा के दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे दवा कब लेनी है कैसे लेनी है कितनी मात्रा में लेनी है दवा के साथ कौन से भोजन कर सकते हैं कौन से भोजन नहीं कर सकते क्या आप ऐसी दवा ले रहे हैं जो एक दूसरे के विपरीत लक्षणों वाले हैं या एक दूसरे के गुणवत्ता को घटा बढ़ा सकते हैं इस प्रकार की सैकड़ों समस्याएं हैं यदि आपके पास दवा संबंधी सही जानकारी नहीं है तो निश्चित रूप से आप आप दवा के दुष्प्रभाव से बच नहीं सकते और आपकी जान भी जा सकती है
आखिर दवा का दुष्प्रभाव क्या हो सकता है ?
हम सबके मन में यही सवाल होता है की दवा का दुष्प्रभाव क्या हो सकता है हम में से प्रत्येक व्यक्ति भोजन का भी दुष्प्रभाव जानता है आप जैसे भोजन करोगे आपके शरीर का विकास भी वैसे ही होगा अक्सर देखता हूं कि खानपान के कारण भी व्यक्ति अस्पताल पहुंच जाता है आइए बात करते हैं दवा लेने से पहले फार्मासिस्ट की उपयोगिता इसलिए जरूरी है क्योंकि फार्मासिस्ट ही बता सकता है कि दवा और भोजन में क्या प्रतिक्रिया हो सकती है दवा के घातक दुष्परिणाम हो सकते हैं आप सोच भी नहीं सकते हैं एक साधारण सी दवा आपकी जान ले सकती है आप महसूस नहीं कर सकते लेकिन दवा के दुष्प्रभाव से आपका हृदय ,लीवर किडनी ,निष्क्रिय हो सकता है
आखिर दवा लेने में लापरवाही क्यों ?

यह सवाल हमेशा मेरे मन को विचलित करता है आखिर लोग रुपया पैसा का इतना ध्यान रखते हैं बीमार पड़ते हैं तो अस्पताल के खर्चा की कोई फिक्र नहीं होती लेकिन दवा लेने में इतनी लापरवाही क्यों करते हैं हम साधारण का किसी दुकान पर आभूषण लेने पहुंचते हैं तो हम आभूषण की गुणवत्ता और आभूषण बेचने वाले के बारे में सैकड़ों सवाल पूछते हैं कितने कैरेट का है हॉलमार्क का है कि नहीं भविष्य में इसकी जिम्मेवारी आप लोगे कि नहीं लेकिन इसके विपरीत हम बीमार पड़ते हैं और बड़े आसानी से दवा दुकान पर जाते हैं या फिर किसी झोलाछाप डॉक्टर से दवा लिखवा कर आसानी से उसे ग्रहण कर लेते हैं हमें नहीं पूछते कि यह दवा हमारे लीवर को नुकसान पहुंचाएगी क्या हमें नहीं पूछता की दवा का दुष्परिणाम क्या है हमें नहीं पूछते कि दवा के साथ कैसा भोजन लेना है और शायद हम पूछते भी हैं तो क्या फायदा वहां फार्मासिस्ट उपस्थित ही नहीं होता है आखिर सरकार ड्रग एवं कास्मेटिक एक्ट एवं फार्मेसी एक्ट बनाने का यही उद्देश्य था की आम जनता को दवा कब और कैसे कितनी मात्रा में लेनी है इसकी जानकारी हो सके दवा के दुष्परिणाम से कोई व्यक्ति की जान ना जाए
क्या विदेशों में भी यह कानून अपनाया जाता है?
जी आपको बताएं कि केवल भारत ही नहीं दुनिया के प्रत्येक देश में दवा दुकानों पर फार्मासिस्ट की अनिवार्यता है अस्पतालों में बिना फार्मासिस्ट की दवाइयां नहीं दी जाती बल्कि कुछ राष्ट्रों में तो डॉक्टर से अधिक महत्त्व फार्मासिस्ट को दिया जाता है
आखिर भारत में क्यों असफल रहा यह चिकित्सा पद्धति ?
भारत में यह कानून अंग्रेजो ने लाया था और शायद अंग्रेजों की दी हुई सबसे बहुमूल्य तोहफा है भारत के नागरिकों को स्वस्थ रखने के लिए लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के बाद स्वतंत्र भारत में भ्रष्टाचार बहुत हद तक भरा हुआ था उन दिनों शिक्षा की कोई प्रक्रिया नहीं थी आयुर्वेद का ज्यादा महत्व था इसलिए नीम हकीमओं को उस समय का फार्मासिस्ट समझा सकता है जो दवा के संदर्भ में गहन अध्ययन करते थे भारत में कानून लागू होने के बाद भारत में फार्मेसी शिक्षा शुरू होने में थोड़ी देर लगी लेकिन इससे पहले जो लोग दवाओं के बारे में जानते थे उन्हें अनुभव के आधार पर फार्मासिस्ट बना दिया गया था हालांकि कुछ दिन बाद भारत में फार्मेसी एक्ट के अनुसार फार्मासिस्ट बनने के लिए डिप्लोमा इन फार्मेसी न्यूनतम क्वालिफिकेशन निर्धारित किया गया लेकिन सिस्टम में बैठे रिश्वतखोरओ ने दवा दुकानों को किराना दुकान बना दिया रिश्वत लेकर अनपढ़ जाहिल गवारओं को भी दवा दुकान खोलने का लाइसेंस प्रदान कर दिया जो रंग देखकर दवाएं देते थे
नई क्रांति से देश के जनता को उम्मीद की संभावना
आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए गए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने भारत में प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है इसका मुख्य कारण है आधार कार्ड यानी अब एक व्यक्ति एक जगह ही कार्यरत हो सकता है जैसे फर्जी लाइसेंस धारकों की पोल खुल रही है आंकड़ों की बात करें तो बिहार में एक लाख से अधिक फर्जी दुकानें हैं जो खुलेआम मौत का सौदा कर रही है बिहार मैं शराब बंदी होने के बाद भी नशा का कारोबार नहीं रुक रहा है उसके पीछे दवा की कालाबाजारी है जो अवैध रूप से नशा के लिए उपयोग हो रहा है
इस आलेख को लिखने का उद्देश्य दवा संबंधी आम व्यक्तियों में जागरूकता पैदा करना है लेख को सहज एवं सरल बनाने के लिए आम बोल चाल की भाषा का प्रयोग किया गया है शब्दों में हुए किसी प्रकार की गलती हो तो कृपया नजरअंदाज करें क्या हमें कमेंट द्वारा बताएं
लेखक, बिहार फार्मासिस्ट फाउंडेशन के सचिव हैं एवं फार्मेसी संबंधी क्रांति के सूत्रधार हैं दवा संबंधी जानकारी साझा करना लेखक अपना कर्तव्य मानते हैं और समाज को स्वस्थ बनाने के लिए तत्पर हैं
bahut sarahniya post hai. but fayda tab hoga jab iss post ko non-pharmacist log pad payengey.
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