फार्मेसी संस्थान में शिक्षक समारोह

जिन लोगों का इम्यून सिस्टम (Immune System) कमजोर है वे टीकाकरण (Vaccination) को लेकर उधेड़बुन में हैं. टीके के प्रभावी और सुरक्षित होने के बारे में लोगों के मन में कई संदेह (Doubt) हैं. यहां हम टीकाकरण को लेकर ऐसे ही कुछ संदेहों को दूर करने की कोशिश करेंगे, ताकि लोगों को टीकाकरण के बारे में किसी निर्णय पर पहुंचने में मदद मिले.
इम्यूनिटी हमारे शरीर की सुरक्षा व्यवस्था है ,जो हमें संक्रमण से बचाती है. सीधे शब्दों में कहें तो शरीर की यह वो ताक़त है जिसके बल पर वह उन चीजों से लड़ती है जिसको शरीर बाहरी (एंटीजेन) समझता है और शरीर में इसके पहुंचने पर इसको नष्ट करने का प्रयास करता है.
शरीर में दो तरह की इम्यूनिटी होती है– एक जो शरीर में पहले से होती है और दूसरा जो शरीर प्राप्त करता है. यह अंतर्निहित इम्यूनिटी हमारे शरीर में जन्म से ही होती है और दूसरा वह बाहरी उद्दीपन के कारण प्राप्त करता है. जब कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश करता है तो हमारा शरीर एंटीजेन के रूप में उसकी पहचान करता hai हमाराइम्यून सिस्टम इसके ख़िलाफ़ लड़ाई छेड़ देता है और वह इस वायरस की संरचना को भी ध्यान में रखता है ताकि दूसरी बार अगर वह आक्रमण करे तो उसके ख़िलाफ़ और इससे मिलती-जुलती संरचना वाले एंटीजेन के ख़िलाफ़ वह इम्यूनिटी प्राप्त कर सके.
जिस व्यक्ति में इम्यून सिस्टम इतना सक्षम नहीं होता उनके शरीर में उस व्यक्ति की तुलना में रोग से लड़ने की क्षमता कमजोर होती है जिनके शरीर का इम्यून सिस्टम बेहतर है.
इम्यून सिस्टम की कमजोरी वाला व्यक्ति वह है जिसका इम्यून सिस्टम एंटीजेन के ख़िलाफ़ प्रभावी लड़ाई नहीं लड़ पाता है. जिन लोगों में पोषण का अभाव होता है (अधिकांशतः सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से निचले पायदान पर खड़े लोग जो कुपोषित होते हैं) या फिर ऐसे लोग जिनको HIV संक्रमण के कारण AIDS हुआ है, टीबी के मरीज़ हैं, जिस व्यक्ति में डायबिटीज़ नियंत्रण में नहीं है, बीड़ी-सिगरेट पीने के कारण जिसे COPD होता है, जिसे कैंसर है और जो कैंसर के इलाज के क्रम में इम्यूनिटी को दबाने के लिए दवा ले रहे हैं जैसे कीमोथेरेपी और रेडीओथेरेपी या जिनको अंग प्रत्यारोपण हु
हां, चूंकी एंटीजेन के ख़िलाफ़ इनके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) का जवाब बहुत कमजोर होता है इसलिए इनमें कोरोना जैसे संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा होता है.
हां, क्योंकि जिनके शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर है उनको कोविड होने का ख़तरा अधिक होता है इसलिए उन्हें टीका अवश्य लेना चाहिए.
टीका एंटीजेन है जिसकी संरचना वायरस की तरह ही होती है पर उसकी आंतरिक संरचना अलग होती है. इससे मतलब यह है कि यह एक ऐसा वायरस होता है जिसमें बीमारी पैदा करने की ताक़त नहीं होती.
यह इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है ताकि यह बीमारी नहीं पैदा कर सकने वाले इस वायरस के ख़िलाफ़ प्राकृतिक एंटीबॉडीज़ तैयार कर सके, लेकिन जिस व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर है उसमें यह ताक़त कम हो जाती है और इसलिए उसके शरीर में ज़्यादा इम्यूनिटी वाले व्यक्ति की तुलना में कम इम्यूनिटी पैदा होगी.
हां, संक्रमण और टीकाकरण के बाद शरीर में इम्यूनिटी की स्थिति का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला जांच उपलब्ध है.
ऐसे लोग जिनके खून में ऐंटीबाडीज़ का पता नहीं चलता, उनको संक्रमण का डर ज़्यादा होता है?
शरीर में ऐंटीबाडीज़ की मौजूदगी और ग़ैरहाज़िरी आगे और संक्रमण से सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं मिलती. जिस व्यक्ति के शरीर में ऐंटीबाडीज़ की मात्रा अधिक होती है उसको भी संक्रमण हो सकता है और ऐसा भी हो सकता है कि जिसके शरीर में कोई ऐंटीबॉडी नहीं है उसको कोई संक्रमण न हो. अभी तक इस बारे में कोई टेस्ट नहीं उपलब्ध है इसलिए कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है.
टीका इसलिए दिया जाता है ताकि बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित होने से बचाया जा सके या अगर किसी को संक्रमण होता भी है तो यह बहुत ही हल्का हो. इस बात की काफ़ी संभावना होती है कि जिन्होंने टीका लिया हुआ है, संक्रमण होने के बाद भी उनकी जान बच जाए बनिस्बत उनके जिन्होंने टीका लिया ही नहीं है.
हर व्यक्ति को टीका लेना चाहिए भले ही उनमें इम्यूनिटी की स्थिति कुछ भी हो. टीका लेनेवाले लोगों की संख्या जितनी ही अधिक होगी, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के संक्रमित होने का ख़तरा उतना ही कम होगा.
जितनी अधिक संख्या में ऐसे व्यक्तियों को टीका लगाया जाएगा जिनके शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर है उतने ही कम लोगों की संक्रमण से मौत होगी.
टीकाकरण के बाद शरीर में ऐंटीबाडीज़ बने या नहीं बने, हर व्यक्ति को टीका लेना चाहिए. टीका लिए लोगों की संख्या जितनी ही अधिक होगी, कोविड से संक्रमण का ख़तरा उतना ही कम होगा.
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